१. त समयेन बुद्धो भगवा वेरञ्जायं विहरति नळेरुपचिमन्दमूले महता भिक्खुसङ्घेन सद्धिं पञ्चमत्तेहि भिक्खुसतेहि।
उस समय, बुद्ध भगवान वेरञ्जा नगर में नलेरु वृक्ष के नीचे, पांच सौ भिक्षुओं के बड़े संघ के साथ निवास कर रहे थे। यह स्थान एक प्राकृतिक दृश्य था, जो ध्यान और साधना के लिए एक आदर्श स्थान था। वेरञ्जा का यह क्षेत्र पेड़ों और हरियाली से घिरा हुआ था, जो शांति और सुकून प्रदान करता था। बड़े समूह के साथ निवास का अर्थ यह भी था कि बुद्ध का शिक्षण कार्य जोरों पर था, और वे स्वयं अपने अनुयायियों के लिए एक आदर्श भूमिका निभा रहे थे।
अस्सोसि खो वेरञ्जो ब्राह्मणो – ‘‘समणो खलु, भो, गोतमो सक्यपुत्तो सक्यकुला पब्बजितो वेरञ्जायं विहरति नळेरुपुचिमन्दमूले महता भिक्खुसङ्घेन सद्धिं पञ्चमत्तेहि भिक्खुसतेहि।
वेरञ्जा के एक ब्राह्मण ने यह सुना, “साथियों, गौतम समण, जो शाक्य कुल से प्रव्रजित हुए हैं, वेरञ्जा में नलेरु वृक्ष के नीचे पांच सौ भिक्षुओं के संघ के साथ निवास कर रहे हैं।” यह सुनकर उनके मन में जिज्ञासा उत्पन्न हुई कि यह गौतम समण कौन हैं, जिनकी ख्याति इतनी व्यापक हो रही है। यह जानकारी उनके भीतर उत्सुकता और आश्चर्य पैदा करती थी। दैनिक जीवन में किसी के बारे में सुनना और उसे जानने की इच्छा रखना स्वाभाविक है, और इस सत्यता को इस प्रसंग में भी देखा जा सकता है।
तं खो पन भवन्तं गोतमं एवं कल्याणो कित्तिसद्दो अब्भुग्गतो –
गौतम भगवान की ख्याति इस प्रकार फैल गई है: ‘यह भगवान अर्हत, सम्यक् संबुद्ध, विज्ञान और आचरण में संपूर्ण, सुखद मार्ग वाला, संसार का ज्ञाता, अनुपम मार्गदर्शक, देवों और मनुष्यों के शिक्षक, बुद्ध और भगवान हैं।’ यह उनकी महानता और उनके ज्ञान का प्रमाण है कि वे हर प्राणी के लिए प्रेरणा बन गए थे।
“गौतम बुद्ध की महिमा उनके ज्ञान और आचरण में परिलक्षित होती है। वे न केवल शिक्षण में बल्कि जीवन के हर पहलू में आदर्श हैं।”
वे इस संसार को, जिसमें देवता, असुर, ब्रह्मा, सन्यासी, ब्राह्मण और मनुष्य समाहित हैं, अपनी ज्ञान दृष्टि से जानते हैं और उसे प्रकट करते हैं।
सो धम्मं देसेति आदिकल्याणं मज्झेकल्याणं परियोसानकल्याणं
वे धर्म का उपदेश देते हैं जो प्रारंभ में कल्याणकारी है, मध्य में कल्याणकारी है, और अंत में भी कल्याणकारी है; वह अर्थपूर्ण और स्पष्ट होता है। यह उनके उपदेशों की विशेषता है कि वे स्पष्ट और सीधे होते हैं, जो हर किसी को समझ में आ सके। वे पूर्णतया पवित्र और निर्मल ब्रह्मचर्य का प्रकाशन करते हैं।
धर्म की यही अद्वितीय विशेषताएँ हैं, जो हर व्यक्ति को उस पवित्रता की ओर आकर्षित करती हैं।
“ऐसे अर्हतों का दर्शन करना अत्यंत लाभकारी होता है।”
गौतम बुद्ध के उपदेशों का प्रभाव इस प्रकार था कि वे न केवल धर्म का ज्ञान प्रदान करते थे, बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाते थे। यह उनके अनुयायी के लिए एक आशीर्वाद था, जिनके पास मार्गदर्शन और प्रेरणा के लिए एक व्यक्तित्व था।
सारांश
इस खंड में बुद्ध भगवान वेरञ्जा में अपने पांच सौ भिक्षुओं के संघ के साथ निवास कर रहे हैं। वेरञ्जा के एक ब्राह्मण ने बुद्ध की महान ख्याति के बारे में सुना। गौतम बुद्ध की ख्याति इस रूप में फैल चुकी है कि वे अर्हत, पूर्ण ज्ञान और आदर्श आचरण के धनी हैं। वे सभी प्राणियों के उद्धारक और मार्गदर्शक हैं। उनके द्वारा सिखाया गया धर्म संपूर्ण रूप से कल्याणकारी है और हर प्रकार से शुद्ध एवं पवित्र जीवन का मार्ग प्रशस्त करता है।
यह हमें यह समझाता है कि धर्म का सही अर्थ केवल पाठ पढ़ने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे जीवन में उतारने में है। बुद्ध का जीवन और उनका उपदेश हम सभी के लिए एक उदाहरण है कि कैसे सादगी, शांति और करुणा के साथ जीवन जिया जाए। हम सबके पास यह क्षमता है कि हम उनके आदर्शों से सीख कर उसे अपने दैनिक जीवन में लागू कर सकें।